Netaji Subhash Chandra Bose ki Mrityu ka Sach kya hai : Naveen Jaihind
क्या आप जानते हैं? कही ऐसा तो नही की स्टालिन ने कहा हो कि वो दुनिया को यह नही बतायेगें की नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके पास है और बदले में नेहरू ने रूस के रक्षा हथियार खरीदते रहने का वादा किया हो?
भारत सरकार ने एक आर.टी.आई. (RTI) के जवाब में यह पुष्टी कर दी है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का 18 अगस्त 1945 को प्लेन क्रैश में निधन हो गया था। 1945 से आज तक इस झूठ को बार-बार जनता के सामने लाया जा रहा है।
4 अगस्त 1997 को भारत के सर्वोच्च न्यायलय की खण्डपीठ की न्यायधीश महोदया जस्टिस श्रीमति सरोजा देवी, श्री वी मनोहर एवं श्री जे वी पटनायक ने केस नम्बर- 3019 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु प्रमाणित नही की थी और सरकार को उन्हे खोज कर जनता को सौपने के आदेश दिये थे। इस कारण नेताजी को मणोपरान्त दिया जाने वाला भारत रत्न वापस लिया गया था। यही कारण था कि तत्कालीन सरकार को 1999 में जस्टिस मुखर्जी आयोग बैठाना पडा। जस्टिस मुखर्जी ने अपनी रिर्पोट के प्रारम्भ में ही लिख दिया था कि नेता जी की मृत्यु प्लेन क्रैश में नही हुई थी। परन्तु उनकी रिपोर्ट को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने खारिज कर दिया।
रूस के वर्तमान प्रधान मन्त्री श्री पुतिन ने ही बयान दिया है कि 13 अप्रैल 1947 को भारत और रूस में राजनायिक सम्बन्ध स्थापित करने की घोषणा हो गई थी। पहला प्रश्न चिन्ह यह है कि आजादी मिलने से पहले ही यह घोषणा क्यो हुई और दूसरा प्रश्न चिन्ह यह की रूस के साथ ही यह घोषणा क्यो हुई। इस घोषणा से पहले रूस और भारत में व्यापार न के बराबर था और घोषणा के बाद निरन्तर बढ़ता गया । कही ऐसा तो नही की उस समय के स्टालिन ने दुनिया को यह नही बताने की शर्त पर कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके पास है, बदले में नेहरू से रूस के रक्षा हथियार खरीदते रहने का वादा ले लिया हो।
अब माननीय प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी रूस जा रहे है। उनके जाने से पहले नेताजी की प्लेन क्रैश में मृत्यु दिखाना भी उपरोक्त संशय की पुष्टी करता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री जिसने अपने पिता को देखा तक नही और जिसे आजाद हिन्द फौज का लेश मात्र भी ज्ञान नही, उसके बयान के आधार पर प्लेन क्रैश में नेताजी की मृत्यु की पूष्टी करने का औचित्य ही नही बनता।
4 अगस्त 1997 को भारत के सर्वोच्च न्यायलय की खण्डपीठ की न्यायधीश महोदया जस्टिस श्रीमति सरोजा देवी, श्री वी मनोहर एवं श्री जे वी पटनायक ने केस नम्बर- 3019 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु प्रमाणित नही की थी और सरकार को उन्हे खोज कर जनता को सौपने के आदेश दिये थे। इस कारण नेताजी को मणोपरान्त दिया जाने वाला भारत रत्न वापस लिया गया था। यही कारण था कि तत्कालीन सरकार को 1999 में जस्टिस मुखर्जी आयोग बैठाना पडा। जस्टिस मुखर्जी ने अपनी रिर्पोट के प्रारम्भ में ही लिख दिया था कि नेता जी की मृत्यु प्लेन क्रैश में नही हुई थी। परन्तु उनकी रिपोर्ट को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने खारिज कर दिया।
रूस के वर्तमान प्रधान मन्त्री श्री पुतिन ने ही बयान दिया है कि 13 अप्रैल 1947 को भारत और रूस में राजनायिक सम्बन्ध स्थापित करने की घोषणा हो गई थी। पहला प्रश्न चिन्ह यह है कि आजादी मिलने से पहले ही यह घोषणा क्यो हुई और दूसरा प्रश्न चिन्ह यह की रूस के साथ ही यह घोषणा क्यो हुई। इस घोषणा से पहले रूस और भारत में व्यापार न के बराबर था और घोषणा के बाद निरन्तर बढ़ता गया । कही ऐसा तो नही की उस समय के स्टालिन ने दुनिया को यह नही बताने की शर्त पर कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके पास है, बदले में नेहरू से रूस के रक्षा हथियार खरीदते रहने का वादा ले लिया हो।
अब माननीय प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी रूस जा रहे है। उनके जाने से पहले नेताजी की प्लेन क्रैश में मृत्यु दिखाना भी उपरोक्त संशय की पुष्टी करता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री जिसने अपने पिता को देखा तक नही और जिसे आजाद हिन्द फौज का लेश मात्र भी ज्ञान नही, उसके बयान के आधार पर प्लेन क्रैश में नेताजी की मृत्यु की पूष्टी करने का औचित्य ही नही बनता।
18 अगस्त 2017 जन्तर मन्तर पर पहुंचकर अपना योगदान देंनेताजी सुभाष चंद्र बोस को अपनी श्रद्धांजलि दी
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